Saturday 29 September 2012

दुनिया भर में अराजकता फैला रही है मीडिया

पत्रकारिता का स्वरुप अब कुत्ते और सूखी हड्डी जैसी है......एक ही मुद्दे को पकड़कर उसे तब तक निचोड़ते हैं....जब तक की खुद का खून ख़त्म होने की नौबत न आ जाये.........दुनिया भर में नफरत फ़ैलाने का कम् आज मीडिया क्र रही है.........जन्म से स्वतंत्र और साहसी मनुष्यों को मीडिया ने....अमीर......गरीब.......छोटा....बड़ा........तथा जाति....धर्म.......भाषा..........और खेत्र के रूप में बाँट रखा है........बैनेट कोलमैन एंड कम्पनी का.......'टाइम्स' ग्रुप का कई देशों में पत्रकारिता का कारोबार है.......कभी एक ही देश रहे भारत-पाकिस्तान के बीच किसी भी मुद्दे को इस अखबार का दोहरा मापदंड रहता है.......पाकिस्तान से प्रकाशित अख़बार में पाक भाइयों को शहीद और भारतीय सैनिकों को दुश्मन बताया जाता है......तो दूसरी और भारत से प्रकाशित होने वाले उसी ग्रुप के पेपर में ठीक उलट पाकियों को दुश्मन और भारतीय सैनिकों को शहीद बताया जाता है........एक बात और जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. वह यह कि जब भारत और पकिस्तान दोनों देशों के नागरिकों को पता है कि सीमा सुरक्षा बलों में भर्ती होने का मतलब अपने आपको ख़ुदकुशी के मार्ग पर ले जाना.......तो फिर आखिर हम सेना में भर्ती ही क्यों हों..............

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